तिरस्कार






 तिरस्कार

 

 राज की बुरी आदतों से उसका दोस्त विवेक बहुत परेशान था बचपन की दोस्ती थी पर दोनों के संस्कार अलग थे स्वभाव अलग था पर दिलों जान से एक दूसरे के साथ जुड़े रहकर हर सुख दुख के साथी थे।

       जहां विवेक बहुत संयम धैर्य वाला , वही राज इसके विपरीत बहुत गुस्से वाला मारपीट करने वाला किसी को भी कभी भी कुछ भी कह देना उसकी आदत में शुमार था।

      राह चलती लड़कियों को छेड़ना राज के लिए आम बात थी।

      हद तो तब हुई जब शाम के दिन लगे में सुनसान रास्ते पर जाती एक कम उम्र की लड़की को राज ने धर दबोचा, उस जगह किसी का आना जाना बहुत कम हो पाता था।

     नशे में धुत राज उस लड़की पर पूरी तरीके से हावी होने की कोशिश कर रहा था और वह मासूम लड़की अपने बचाव के लिए सीख नहीं पा रही थी क्योंकि उसके मुंह पर कपड़ा बांध दिया था।

       राज कुछ गलत कर पाता इसके पहले उस पर लातों घुसो की बरसात होने लगी।

        इतनी पिटाई की गई राज की किउसमें इतनी ताकत नहीं थी कि वह सामने वाले से अपने बचाव के लिए कुछ कर पाता।

       लड़की के फटे कपड़ों पर अपनी शर्ट पहनाते हुए उसे सा सम्मान विदा करके---------

       विवेक ने राज को नफरत और तिरस्कार की नजर से देखते हुए बिना कुछ कहे खामोशी से अपनी राह चल दिया।

 

डॉ प्रियंका सोनी "प्रीत"


 

 



 



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