यह मेरी पहचान है कविता
माँ वाणी का वरदान है कविता।
सकल विश्व की जान है कविता।।
ग्रन्थ सभी कविता से सोभित।
यह मेरी पहचान है कविता।।
सब धर्मों की राजकुमारी।
काव्यशास्त्र जिसका आभारी।।
गंगा सी निर्मल काया है।
हिमगिरि सी इसकी छाया है।।
संसकार को देने वाली।
जीवन का विज्ञान है कविता।।
यह मेरी------------------------
कविता मन मे भाव जगाती।
सच कहने की हिम्मत लाती।।
क्रूर और अन्यायी सारे।
डरते हैं कविता के मारे।।
समय समय पर दुष्टों का।
लेती रहती संज्ञान है कविता।।
यह मेरी-------------------------
तुलसी सूरदास है मीरा।
नन्ददुलारे पन्त की पीरा।।
इलाचन्द जयशंकर प्यारे।
गीता महाभारत रस वारे।।
रामायण वेदों की वाणी।
सबसे बडी महान है कविता।।
यह मेरी------------------------
भूषण और निराला आली।
तन मन झंकृत करने वाली।।
महादेवी चौहान सुभद्रा।
भर हुंकार उतारे भद्रा।।
श्री कृष्न का चक्र सुदर्शन।
राम और हनुमान है कविता।।
यह मेरी-----------------------
कविता ने ही साख बनाई।
कविता ने दुनियाँ दिखलाई।।
माँ की कृपा तार वीणा के।
शब्द तैरते हैं आ आ के।।
कलम खडग सी चले छपा छप।
जैसे लाल कमान है कविता।।
यह मेरी पहचान है कविता।।
©®
राजबीर सिंह"क्रान्ति"
धौलपुर---राजस्थान
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