यह मेरी पहचान है रचना
मेरे अनुभवों का आधार है रचना,
यह मेरी अपनी पहचान है रचना,
दिल से निकली, दिल में है रची,
मेरे अंतर्मन में ही है ये बसी रची,
दिल की आह को करती उजागर रचना,
विरह की वेदना से ओतप्रोत हो सजी है रचना,
आंतरिक भावों का ताना -बाना बनाती है रचना,
बाहरी दुनिया की रूप -रेखा बनती है रचना,
अकेलेपन को दूर कर रचनाकार की आस है रचना,
यह मेरी सहेली बन लगती मेरी पहचान है रचना,
कागज़ और कलम के मिलन से बनती एक अद्भुत रचना,
आपबीती की सबके सामने सुन्दर अभिव्यक्ति करती है रचना,
यह मेरी अनुपम और स्वरचित भावुक है रचना,
यह मेरी और तेरी ख्वाबों से सुसज्जित है रचना,
दिपाली मित्तल
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