आस्था विश्वास पर जीवन बना है। देखो पेड़ कैसा तना है। जमीं से जुड़ वह तो खड़ा है। मांँ की छाँव बच्चा बड़ा है।। विश्वास की सीढ़ी बनी है। यही सफलता की जननी है। कर भरोसा आजअपने पर। पूरा कर झूमें सपने पर।। आस्था पग रख जो गगन पर। डूबा हो काम में मगन पर। मिल जाए जो चाहता है। देगा वही जो मांगता है।। जला प्रेम के दीपक सारे। घनी रात तम भी जो हारे । चल निकल कर नाद आशा का। लिख व्योम नई परिभाषा का।। देख प्रभंजन भी है हारे । झुकता गगन चमके नजारे । मान ले बार उठा अष्त्र भी। भेद दे गगन उठा शस्त्र भी।। चंद्र किरण शर्मा , भाटापारा छत्तीसगढ़।। |
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