"दोहे"
1.सबके केवट राम हैं ,
"वो"हैं दिल के पास,
सरयू सबके लिए है ,
एक मंजिल इक आस .
2. नैया जीवन की चली, देख कर दुनिया दंग , लहर बन लहराए है, जीवन की हर उमंग.
3.माटी ,पानी ,आग ,हवा
,शून्य है क्यों आधार. तीन रंगों की यह जमीन त्रिमयी है संसार .
4. धर्म अर्थ और काम मोक्ष ,
जगत रचें ये चार,
वेद शास्त्र मिलकर सदा, मानव को देत संस्कार.
5.हिम्मत रखो बढ़ते चलो,
मिल जाएगी राह , श्रद्धा ,प्रेम व विश्वास से पूरी होगी चाह .
रजनी अग्रवाल
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