दूरी 

 

सुन्दरता की धुरी 

ना धरती सुंदर है 

ना आकाश सुंदर है 

सुंदर है तो 

दोनों के बीच की

दूरी सुंदर है 

ना स्त्री सुंदर है 

ना पुरुष सुंदर है 

सुंदर है तो 

दोनों के बीच की 

दूरी सुंदर है  

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जब हम धरती पर होते हैं 

तो आसमान की ओर देखते हैं 

जब आसमान में 

हवाई जहाज में होते हैं 

अथवा किसी 

पहाड़ पर होते हैं 

तो धरती की ओर देखते हैं 

जो बच्चा पहाड़ पर रहता है 

उसे तलहटी  

सुंदर दिखाई देती है 

वह जमीन पर

आना चाहता है 

जो बच्चा जमीन पर रहता है 

वह पहाड़ पर जाना चाहता है 

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यह मन है "त्रिलोक"

जहां हैं वहां नहीं 

रहना चाहता है 

यही तो दुख यही है पीडा  

अब ठहर जा अपने में  

कुछ ना मिलेगा सपने में 

खुद को पाले अपने में 

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   🔶साहित्य मित्र 🔶

विधानाचार्य ब्रःत्रिलोक जैन