*।। घर -- मेरा नीड़ ।।* विश्वास की जमीन, कड़वे अनुभवोंकी गिट्टी, सहनशीलतासे ओतप्रोत रेत,ब और चुप्पीसे बनी सीमेंट, खुशीसे सराबोर पानी, भरौसे की नींव के पत्थर, समझौते की सलाखें, सामंझस्य की फर्श, इंसानियत के दरों--दरवाजें, अच्छाई की खिड़कियां, और सादगिसे बनी छत, क्षमा और मैत्रीके रंग बिखेर कर, एक मकान नुमा बने घरको, मैने बडेही जतनसे संवारा है। जहां हम हंसी--ठिठोली करते, इठलाते, प्यारभरी ऊष्मा के संग रहते है, वो है, ।। मेरा घर------ मेरा नीड़।। *किरण सेठ, अमरावती* |
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