कुण्डलिया
हित चिंतन यदि राष्ट्र का ,
उपासना भगवान ।
मित्र ! निभा दायित्व हम ,
करें देश उत्थान ।।
करें देश उत्थान ,
त्याग को गले लगाएँ ।
सच्चरित्र गुणवान ,
श्रेष्ठता को अपनाएँ ।।
कहे 'रुचिर' कविराय ,
नाथ फल देता वांछित ।
भाव संगठित राष्ट्र ,
होम दें प्राण देश हित ।।
नवनीत राय 'रुचिर
'
सोजत शहर (राजस्थान)
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