मां की सीख 






🎄लघुकथा 🎄

 

         मां की सीख 

 

सुबह जरा सी बात पर अपनी पत्नी से नाराज होकर ,भोजन की थाली छोड़ घर से गया सार्थक सांझ घर लौटा है /दरवाजे के बाहर खड़े होकर धीरे से कुंडी खटकाई / वृद्ध मां ने उठ कर दरवाजा खोला /सार्थक नीची गर्दन कर के अंदर जाने लगा , मां ने कहा बेटा जरा मेरे पास तो बैठ , और हाथ पकड़ कर सार्थक को अपने पास बिठा लिया / वात्सल्य रस की वर्षा करते हुए उसकी पीठ को सहलाने लगी /दूध का गिलास उठा कर उसके मुख से लगा दिया ले बेटा दूध पी ले / सार्थक चुपचाप दूध पी गया मां ने उसका मुंह पोछा ,और धीरे से बोली तुझे क्या हो गया है रे ,इतनी सुंदर सुशील तुझे पत्नी मिली है ,और तू उसी से नाराज हो जाता है , बोल सुबह थाली छोड़कर क्यों गया था /मां मैंने उससे कई बार कहा है टमाटर के पीस छोटे किया कर ,सब्जी में नमक रोज कम रहता है / बस इतनी सी बात ,तो सुन टमाटर आज मैंने बनाए थे और नमक मेरे कारण उसने कम डाला था ,तुझे पता नहीं मैं नमक कम खाती हूं /ऊपर से डाल लेता / तेरे जाने के बाद कितना रोई है वह ,उसने भी आज खाना नहीं खाया ,मैंने भी रोटी नहीं खाई /सब भोजन उठाकर गाय को खिला दिया / थोड़ी शर्म कर ,जो पुरुष अन्नपूर्णा देवी और अन्न का अपमान करता है ,वह कभी सुखी नहीं होता /

बाह रे सपूत ,तू मुझ संस्कृति का बेटा है ,तेरी पत्नी का नाम प्रकृति है , तू खूब नाम रोशन कर रहा है कुल का / तेरे पिता सेवाराम जी आज इस दुनिया में नहीं , पर उन्होंने मुझे भोजन के नाम पर तो कभी नहीं डांटा जो जैसा भोजन उनके सामने मैंने परोस दिया वहव श्रद्धा भक्ति रुचि से ,गाय का हक रखकर प्रेम पूर्वक भोजन करते थे ,और हमेशा मुस्कुराते हुए भोजन पूर्ण कर हाथ धोते थे ,मेरी तारीफ करते थे /मेरा भी मन करता था उन्हें अच्छे से अच्छा बनाकर खिलाऊ /ध्यान रख प्रेम से बनाया भोजन प्रेम पूर्वक खाया गया भजन औषधि का काम करता है /भोजन बनाते समय करते समय यदि हम तनाव करते हैं ,तो यह तनाव ग्रहस्त जीवन को कंगाल बना कर दुखी कर देता है / कहां वह लोग हैं जिनके घर में चूल्हा ही मुश्किल से जलता है , एक-एक रोटी को तरसते हैं ,सुबह है तो शाम को खाने को नहीं ,और तू है बने बनाए भोजन का अपमान कर रहा है /ध्यान रख आज के बाद तूने ऐसा किया तो मैं तेरी मां नहीं तू मेरा बेटा नहीं /

तुझे पता है तुझे गैस की बीमारी के कारण वह गैस पर खाना नहीं पकाती ,कुकर में दाल नहीं पकाती ,सब काम तेरे स्वास्थ्य के लिए देसी पद्धति से करती है /अभी बरसात के दिनों में आटा भी 3 दिन से ज्यादा पिसा यूज़ नहीं करती मसाले भी 3 दिन की मर्यादा के उपयोग करती है /तेरा कितना ख्याल रखती है / अनाज आदि को उसकी रासायनिक प्रभावों को दूर करने के लिए धोकर के उपयोग करती है सब्जियां तीन पानियों में अलग-अलग धोकर उपयोग करती है पूरी डॉक्टर  है / सुबह से पति को चार बातें सुनाने के मूड से बैठी पत्नी सासु मां की बातें सुनकर विह्वल हो गई /यह तो मेरी मां की तरह है /अगले दिन भोजन के समय मां रोटी बनाने बैठी , सार्थक भोजन करने आया तो मां ने टमाटर ऱख दिए ,जरा बनाके बता कैसे बारीक पीस होते हैं 

 /सार्थक मुस्कुराते हुए टमाटर उठाकर खाने  लगा / कटुता को भूलकर परिवार फिर मुस्कुराने लगा /

         🔶साहित्य मित्र 🔶

      ब्रःत्रिलोक जैन 

         वर्णी गुरुकुल जबलपुर


 

 



 



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