नमन प्रभु तुम्हें नमन हो ना करे कभी नफ़रत इस जहां में किसी से क्या पता किसी रूप में नाथ के दर्शन हो जाएं। एक वही है सबका दाता जो देता प्यार सभी को नफरत नहीं सिखाता इस जहां में किसी को। प्रतिभा हमारी तुझसे हे मेरे नाथ मालिक नतमस्तक रहे सदा ही नहीं अहंकार ना हो कभी भी। मिट्टी का तन है अपना मिट्टी में ही तो मिल जाना फिर काहे का गरूर इतना किसी का दर्द ना समझ पाना प्रभु तुम्हें नमन हो। रमा भाटी |
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