*सीधी कील-ठेड़ी खीर*

 

सीधी कील ठोकना

बड़ी ठेड़ी खीर है 

स्वादिष्ट और पोष्टिक 

खीर को बनाना ही तो 

बहुत कठिन काम है,

सीधी कील ठोके बिना

मजबूती आती भी तो नहीं

ठेड़ी-मेढ़ी कील से

पकड़ बनती भी तो नहीं

बिना पकड़ और मजबूती के

कोई भी तो सामान

काम का होता भी तो नहीं,

सीधी कील बनने के लिये

हर एक इन्सान को 

उचित आकार में

समुचित प्रकार से 

ठलना पड़ता है,

चतुर और चालाक 

इन्सानों से सम्बन्ध

ठेड़ी-मेढ़ी कील की तरह

कामचलाऊ जैसा होता है

सीधी ठुकी हुई कील की तरह

मजबूत और ठिकाऊ नहीं,

सीधा-सादा जीवन

सीधी कील की तरह

मंजिल पर सीधी पहुँच,

ठेड़ी-मेढ़ी कील

मोहमाया का जीवन

बिना मंजिल के पहुँच से दूर 

घुमावदार भटकन ही भटकन

जीवन में अटकन ही अटकन

 

*साथी जहानवी*

अजय कुमार शर्मा