*वफ़ा सीखना है 






*दोस्तों..*

*वफ़ा (वचन पालन, निष्ठा) आजकल मानवीय किरदार में अंशमात्र भी दिखाई नहीं देती हैं

.. ये शब्द मानवीय किरदारों से कुछ यूॅ गायब है

जैसे की धरा से डायनासोर..आज बात वफ़ा शब्द पर..!*

 

*वफ़ा सीखना है 

 

*वफ़ा सीखना है तो ताले से सीखो,*

*टूट जाता हैं मगर चाबी नहीं बदलता..!*

*एक मानव हैं की सुबह खाई कसम,*

*शाम होते होते अक्सर तोड़ देता..!*

*बड़ा तोड़ू क़िस्म का हो गया मानव,*

*ताले सी वफ़ा आज कहाॅ निभाता..!*

*किस पर यकीं करें किस पर न करें,*

*आज किसी को ये समझ नहीं आता..!*

*बड़ा सोचनीय किरदार हो गया मानव का,*

*जिस थाली में खाता छेद कर जाता..!*

*वफ़ा आजकल किताबों में मिलती,*

*हक़ीक़त में देखो आज कौन निभाता..!*

 

*कमल सिंह सोलंकी*

*रतलाम मध्यप्रदेश*


 

 



 



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