भव्य मंगल कलश स्थापना संपन्न

श्रमण मुनि श्री विशल्यसागर जी मुनिराज चातुर्मास स्थापना के महत्व को बताते हुए कहा .......







अहिंसा साधना आराधना का योग है वर्षायोग, अहिंसा की उपासना और आत्म साधना का योग है वर्षा योग, जीवरक्षा,दया,करुणा का प्रतीक है वर्षायोग, वर्षा के कारण सूक्ष्म स्थूल जीवो की विशेष उत्पत्ति हो जाती है जिससे विराधना की संभावना रहती है। इसी जीव विराधना से बचने और संयम तप अहिंसा की सिद्धि के लिए श्रमण दिगंबर मुनिराज वर्षा योग चातुर्मास करते हैं एक ही जगह साधना आराधना का संकल्प लेकर आत्मा से परमात्मा बनने की साधना का योग धारण करते हैं इसी का नाम वर्षा योग है। व्यवहार ,व्यापार, आचार ,विचार शुद्धि का योग जिसमें बनता है चार योग होता है वही चातुर्मास है।श्रमण की आत्मा साधना एवं श्रावक द्वारा दान पूजा का जुड़ाव होता है चातुर्मास में।इसलिए चातुर्मास श्रमण एवं श्रावक दोनों के लिए महत्वपूर्ण है मुनि श्री ने पांचों मंगल कलश की व्याख्या करते हुए कहा कि प्रथम वर्षायोग कलश समाज के लिए, देश के लिए ,राष्ट्र के लिए ,धवलता का प्रतीक है अर्थात देश राष्ट्र में शांति स्थापित हो,आरोग्यता की प्राप्ति हो, सभी के परिणाम धवल हो यही इसका संकेत है दूसरा कलश रत्नत्रय कलश जिसमें 5 घोड़े पंच महाव्रतों के प्रतीक  अर्थात पांच महाव्रतों को धारण कर रत्नत्रय के साथ मोक्ष मार्ग की ओर बढ़ो यह स्वर्ण कलश पीत लेश्या का प्रतीक है जिससे श्रावक दान पूजन करते हुए जीवन को सफल करें तीसरा कलश विरागोदय कलश राज्य से हटकर विराग को प्राप्त कर वीतरागता के मार्ग पर सभी चलें। चौथा कलश सिद्धांत ज्ञान वाचना कलश  भगवान महावीर स्वामी के सिद्धांतों का पालन करते हुए ज्ञान पूर्वक आचरण करें एवं पांचवा कलश आराधना कलश आराधना का प्रतीक है जो संकेत करता है कि सकल दिगंबर जैन समाज भगवान की और मुनिराजों की भक्ति आराधना करते हुए जीवन को सफल बनाएं सर्वप्रथम कार्यक्रम की शुरुआत मांगलिक  ध्वजारोहण से हुई ।जो ध्वजा ईशान दिशा की ओर फहराई गई।दिशा संकेत था कि देश समाज में आरोग्यता,सर्व कार्य सिद्धि,सुख शांति की वृद्धि होगी। तत्पश्चात चित्र अनावरण ,दीप प्रज्वलन, मंगलाचरण मुनि श्री विशल्य सागर जी महाराज द्वारा रचित नमामि विरागसागरम् कृति का विमोचन हुआ। भक्ति संगीतमय भक्ति विभोर होकर मुनि श्री की भव्य पूजन की गई। तत्पश्चात मुनि श्री का मांगलिक उद्बोधन हुआ एवं मंगल कलश स्थापना की गई। भव्य मंगल कलश स्थापना समारोह में कोडरमा समाज, गया समाज, खूंटी समाज, तमाड़ समाज ,सराकक्षेत्र देवलटांड, नोड़ी चोकाहातू, बुंडू एवं मध्य प्रदेश से ऊमरी, भिंड, पोरसा, छत्तीसगढ़ दुर्ग इत्यादि स्थानों से समाज उपस्थित हुई।

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