बुरे वक़्त की एक ख़ास आदत है.. वह इंसान को ख़ुद चलना सिखा देता है.. क्योंकि इस समय आपको मीठे बोल कम कड़वे बोल ज्यादा सुनने को मिलते हैं.. जो व्यक्ति बुरे वक़्त में भी अपने क़दमों को ठहरने नहीं देता वही फलक पर अपना नाम लिखता है.. आज की शाम सकारात्मक सोच की ख़ुशबू से महकती हुई आपकों महसूस होगी..गर कभी आप बुरे वक़्त के दौर से गुजरे हैं तो..??बुरे वक़्त के दामन के जो कोई पाले होते है
बचपन में जिसके नसीब में ना निवाले होते हैं..!
कर्मठता से जो जीता है अपनी जिंदगानी को..!
हमने देखा है उन्हीं तक़दीर में उजाले होते हैं..!
अंधेरों से खौफ खाने वाले क्या ख़ाक जीते हैं..!
जो अंधेरों से लड़ते हैं वही तो दिलवाले होते हैं..!
फर्श से अर्श तक का सफ़र बड़ा ही मुश्किल है..!
अर्श पर पहुंचने वाले लोग बड़े निराले होते हैं..!
कर्म को पूजा माना उन्हीं ने ही इतिहास रचा है..!
ख़ून में रवानी हो उनके नसीब पे कब ताले होते हैं..!
कमल सिंह सोलंकी
रतलाम मध्यप्रदेश
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