कांव- कांव (व्यंग्य)


साहिब! अब सामने चाहे मंत्री जी हो या फिर संतरी जी , ..साईकिल हो या पैतीस लाख की चमचमाती कार ...काग महाराज को क्या फर्क पड़ता है, उनके लिए तो दोनो चीज़े एक सी हैँ,.. हालांकि अब तो प्रभु की  कृपा से साईकिल भी आम से खास हो चली है, क्योंकि उस पर सवारी कर करके कुछ लोग आम से खास यानी मान्यवर जो बन गए हैँ... , पर आम आदमी तो आज भी वही खड़ा है, अपनी फटफटिया साईकिल लिए ... ,खैर ! बात तो काग महाराज की हो रही थी..., जरा उनका रूतबा तो देखिए!, कि वह सारे सूबे को चलाने वाले , भारी -भरकम कद वाले मंत्रीजी की कार के ऊपर जा बैठे ....और  सीधे- सादे मंत्री जी   काग महाराज से डर गए ,और इतना डर गए कि उन्होंने उस कार को ही अछूत घोषित कर दिया , जिस पर काग महाराज बैठ गए  थे.. ,क्योंकि काग महाराज ठहरे शनि देव की सवारी तो   शायद मंत्री जी ने  सोचा कि शनि देव तो क्या, ..उनकी सवारी से भी दूरी ही भली,.… क्योंकि कहा जाता है कि शनि देव को , राजा को रंक बनाने मे देरी नही लगती ,अब भले ही यह आप को माननीय का  अन्धविश्वास ही क्यों ना लगे ,पर  उनकी नजर से सोचिए,  कि यदि वह ऐसा नही करते तो उनकी सवारी और कुर्सी दोनो पर ही तलवार लटक जाती ना.., तो ठीक ही तो किया बेचारे ! मंत्री ने.., क्योंकि हमने भी सुना है कि कुछ लोग किसी के छींकने पर या फिर बिल्ली के रास्ता काटने पर शुभ कार्य को टाल देते हैँ , अब मंत्री जी हैँ.... तो क्या हुआ..., डर तो सभी को लगता है, और  यदि डर के मारे उन्होंने वह कार बदल भी दी, तो हंगामा क्यूं बरपा है.. और फिर यह भी  तो हो सकता है कि इस वारदात के पीछे कमबख्त विरोधी पार्टियों का ही हाथ हो.. क्योंकि उन का तो काम  ही काँव- काँव करने का है.., क्या पता कि उनकी जालिम नजर मंत्रीजी की कुर्सी पर ही हो? , यह तो मंत्रीजी के अच्छे कर्म  थे ...जो वक्त रहते पता चल गया और कोई नुकसान भी नही हुआ, अब वह ठहरे जनसेवक तो तुरंत ही जनहित मे   उनके लिए नई  कार आ गई ,... अब यदि उन्हे कुछ हो जाता तो जनता तो अनाथ ही हो जाती ना !.


  अब भला !  मंत्रीजी की सलामती के आगे  पैतीस -चालीस लाख की औकात ही क्या है.., अरे! भाई , यह सब तो उनकी नजर उतारने जैसा ही है ना,..। 


देखिएगा ! अब वह कैसे भय मुक्त हो कर जनसेवा करेंगे...., बल्कि हमे तो लगता है कि इस घटना के बाद कार कम्पनी वाले भी काग महाराज को दुआ देने के साथ-साथ प्रार्थना कर रहे होंगे कि हे प्रभु! आप रोजाना ही इस देश के किसी ना किसी महान  व्यक्ति  की कार पर अवश्य बैठे..! ताकि हमारा कारोबार फलता- फूलता रहे  ... ,वैसे हमारा भी उन्हे , मुफ्त मे एक मशविरा है कि अब उन्हे काग महाराज को अपना ब्रांड एम्बेसेडर बना लेना चाहिए,... यकीन मानिए कि हम  झूठ नही बोल रहे हैँ .., क्योंकि हमे पता है कि झूठ बोले कौआ काटे...' की मिसाल यूँ ही नही दी जाती है ।

                    

          ्           ----- सुमन चौधरी सुमन


    ( मौलिक एवं स्वरचित रचना)

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