सशक्त विचारधारा
हम लोग आजाद भारत के आजाद नागरिक हैं। हमारा देश आजाद है ।आजादी की लड़ाई अट्ठारह सौ सत्तावन से लेकर लेकर 1947 तक यानी कि यह लड़ाई 90 सालों तक चली। इससे पूर्व छोटे-छोटे राज्य अपनी आजादी , स्वतंत्रता के लिए लड़ते रहते थे। तीन अक्षर गुलामी गई और तीन अक्षर आजादी आई। मुगलों से लड़ाई लड़ी गई ।अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी गई ।और आज की लड़ाई वर्चस्व की लड़ाई लड़ी जा रही है। हमारा तिरंगा कुछ कहता है ।वह हमारे देश का धरोहर है। स्वाभिमान है, शान है, और आजाद हिंद की पहचान है। लेकिन कम मानसिकता वाले लोग केवल 365 दिनों में 364 दिन उस विषय पर नहीं सोचते हैं। सिर्फ एक दिन तिरंगा को परंपरागत रूप मेंअपनाने की प्रक्रिया चल पड़ी है ।लोग जाते हैं तिरंगा लहराते हैं ।तालियां बजाते हैं ।मिठाइयां खाते हैं ।अपने अपने मंतव्य को अपने अपने विचार को वहां रखते हैं। जयकार मनाते हैं और पुनः उस तिरंगा की छत्रछाया से हटते ही अपने अपने कार्यों में लग जाते हैं। तिरंगा द्वारा दिया गया संदेश कम मानसिकता वाले लोग नहीं समझ पाते हैं।वे भूल जाते हैं। तिरंगा का कहना है कि, हमारी डोरी कोई और बनाता है। हमारा रंग कोई और देता है। हमारी सिलाई कोई और करता है। हमको लहराने वाला कोई और होता है ।अपने अपने विचारों को समाहित कर मुझे भाग्यशाली देश का स्वाभिमान बनाया गया।अब कहां है वेलोग जिन्होंने मेरा अपमान नहीं कर सकते थे। हम पर बलिदान हो जाते थे । मेरे संदेश को मेरे विचार को समझते थे ।शायद अब मेरा अस्तित्व समाप्त होता जा रहा है और मैं एक परंपरागत स्थिति में पहुंच रहा हु।मुझे लहराने का अधिकार उसी का है,जो देश के लिए सुरक्षा, त्याग करने की शक्ति रखता हो,सच्चाई का दामन पकड़ा हो।जिसमें न्याय करने की क्षमता हो,खुशहाली, हरियाली दे सकें और प्रगति पथ पर राष्ट्र को निरन्तर अग्रणीय रख सके। लेकिन अब धीरे धीरे खिलौना का रूप लेता जा रहा हु। उन शहीदों की शहादत का सन्देश को अपने जीवन में अमल न कर , यादगार रूप में मनाया जा रहा । मैं खुशी और गम दोनों का प्रतीक हूं। मुझे एक मामूली कपड़ा का टुकड़ा समझ कर कम मानसिकता वाले लोग गली _नाली में फेंक देते हैं । उचित स्थान पर नहीं रख पाते हैं। दुकानों पर बिक रहा हूं ।मेरी यही कीमत। मेरे प्रिय देशवासियों मैं राष्ट्र की एकता,अस्था और विश्वास का प्रतीक हु। मैं तुम्हारा स्वाभिमान हूं ,मैं तुम्हारा पहचान हु। मुझे रुकने मत दो ,मुझे झुकने मत दो ।अपनी भूल सुधारों, मुझे विश्व में लहराओ।पुरी उम्मीद के साथ।जय हिन्द,जय हिंदूस्तानी।
व ०च०__दीनानाथ
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