dr shishupal singh
🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳
हम वृक्ष नहीं बचाएंगे,
तो झूला कहाँ झूलाएंगे।
फैली है ज्यों बदहाली ,
क्या बच पाएगी हरियाली?
🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳
पाषाण भवन भय लाते हैं,
नित नैसर्गिकता खाते हैं ।
यहाँ झील सरोवर हैं खाली,
क्या बच पाएगी हरियाली?
🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳
विकास कथा कहने वाले,
नित हरते वृक्ष कृत्य काले।
नव नीड़ों नहीं मिले डाली,
क्या बच पाएगी हरियाली?
🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳
पंछी कलरव कहाँ करते हैं?
निर्झर झर-झर कर झरते हैं।
कहाँ कूके अब कोयल काली?
क्या बच पाएगी हरियाली?
🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳
हरियाली ही श्वास हमारे हैं,
वृक्ष धरा धर्म को धारे हैं ।
पेड़ों से बचेगी खुशहाली
क्या बच पाएगी हरियाली?
🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳
फैली है ज्यों बदहाली ,
क्या बच पाएगी हरियाली?
मिलकर हरित बचाएँ हम,
तब मन में होगी हरियाली।।
🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳
No comments:
Post a Comment