हिम्मती जमुना की सूझबूझ


 


लघु कथा

जमुना एक बहुत मेहनती और सुलझी हुई औरत थो। वह प्रीतमपुरा नाम गांव में रहती थी। बच्चे के जन्म के समय उसके पति का देहांत हो गया था ।एक बार गांव में बाढ़ आ गई ।सारा गांव पानी में सराबोर हो गया । जमुना भी अपने घर से बेघर हो गई। उसे अपने बच्चे की चिंता सता रही थी। वह बच्चा ही उसकी जिंदगी का एक मात्र सहारा था। कई लोगों को वह पानी के बहाव में बहते हुए देख रही थी। ऐसे में उसे उम्मीद की कोई किरण नजर नहीं आ रही थी। तभी एक छोटी सी झाड़ू के सीक  से बनी टोकरी उसे पानी में तैरती हुई दिखाई दी ।उसने झट उस टोकरी को पकड़ा, और अपने बच्चे को टोकरी में लिटा कर अपना हाथ उपर कर लिया। वह भी धीरे-धीरे पानी के बहाव में बहती जा रही थी । उस समय उसका एक ही प्रण था ,किसी तरह अपने बच्चे की जान की रक्षा करना। बारिश के पानी का स्तर लगातार उसके शरीर के उपर होते जा रहा था ।फिर भी वह हिम्मत जुटा कर ,अपने हाथ की टोकरी को ,ऊपर कर ,पानी के बहाव में यह सोच कर बहे जा रही थी कि, शायद कहीं कोई किनारा नजर आ जाए।

संकट आने पर सभी अपनी हिम्मत और सूझ-बूझ खो देते हैं ,पर संकट में जो सूझबूझ और हिम्मत से काम ले कर अपना और अपनी परिवार को बचा लेता है ,वही सच्चा इंसान कहलाता है।  साहसी यमुना ने भी हिम्मत दिखाकर अपने बच्चे को बचाते हुए पानी के बहाव की ओर ही बहना शुरू किया।

नीता गुप्ता 

रायपुर छत्तीसगढ़

No comments:

Post a Comment

Featured Post

महावीर तपोभूमि उज्जैन में द्वि-दिवसीय विशिष्ट विद्वत् सम्मेलन संपन्न

उज्जैन 27 नवम्बर 2022। महावीर तपोभूमि उज्जैन में ‘उज्जैन का जैन इतिहास’ विषय पर आचार्यश्री पुष्पदंत सागर जी के प्रखर शिष्य आचार्यश्री प्रज्ञ...

Popular