अपने मामा कंस का, करने को संहार
द्वापर में श्री कृष्ण ने लिया मनुज अवतार,
लिया मनुज अवतार, ब्रजके दुख हरने को,
असुरों से निर्मूल पूर्ण मथुरा करने को,
पूर्ण किये वसुदेव देवकी के सब सपने,
ब्रज कर दिया पवित्र डाल कर के पग अपने।
उधौ हारे कृष्ण की भोली गोपिन बीच,
बुरी भली सुननी पड़ी, बौराए औ नीच,
बौराए औ नीच, ज्ञान कहलाया कूड़ा,
ऊधौको सखियोंने घोषित करदिया बूढ़ा,
उठौ जाउ फुर्ती से सुन मथुरा कों सूधौ,
नहिं या हाट के काबिल तुम व्यौपारी ऊधो।
ब्रज रज कण में व्याप्त है, राधे कृष्णा नाम,
सब धामों से है बड़ा, तब ही यह ब्रज धाम,
तब ही यह ब्रज धाम, पूज्य गोकुल वरसाना,
सारे जग में गोबर्धन सम नहीं ठिकाना,
नंदगांव, कामवन, निधि वन औ वृंदावन,
सब में राधे नाम जप रहे हैं ब्रज रज कण।
🙏 ज्ञानेश कुमार मिश्र
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