आस्था विश्वास रहते, प्रेम सद्भाव बहते।
मनमंदिर में जोत, जगाते चले जाइए।
महकते पुष्प खिले, खुशबू जग में फैले।
शब्द मोती चुन चुन, रिश्तों को महकाइये।
चंदन अक्षत रोली, धूप दीप नैवेद्य से।
जगत करतार की, सब आरती गाइए।
मोदक माखन मेवा, मिश्री अरु नारियल।
छप्पन भोग प्रभु को, मुदित हो लगाइए।
रमाकांत सोनी नवलगढ़
जिला झुंझुनू राजस्थान
No comments:
Post a Comment