डाॅ-राजलक्ष्मी शिवहरे
वैष्णो जन तो तेते कहिये
पीर पराई जाने रे।
बापू आप अभी भी चरखा कात रहे हैं । पता है काबुल का हवाई अड्डे को उड़ा दिया है ।
ये तो होना ही था।हरिजनों को मत दबाओ कहता था।किसी ने नहीं सुनी।
अमेरिका के अठारह सैनिक मारे गये।
तो क्या?हमारे बँटवारे में तो कयी हजारों लोग मारे गये थे। किसी को फर्क पड़ा था क्या?
बापू आपको हुआ क्या है। आप तो शांति स्थापित करने की बात करते थे।
कर पाया क्या ।मारा गया मुझे।
हे भगवान ।
तभी नींद खुल गयी।ओह बापू आप भी
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