सुना है !
देवता धरती पर विचरण करते थे
हमने तो साक्षात देखा है,
आचार्य श्री के पावन चरण
धरा पर पड़ते हुए।
चौबीस तीर्थंकर के दर्शन तो
जिन प्रतिमाजी में हो जाते हैं,
वर्तमान में तीर्थंकर का रूप,
आचार्य भगवन
प्रतिलक्षित करते हुए।
आचार्य श्री की सरलता
है भव्यता लिए हुए,
जिनधर्म के प्रति
हमारी आस्था को मज़बूत
करते हुए
विद्या के सागर
अपने आचरण से
त्याग की महानता
का वर्णन करते हुए
नेहा जैन
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