साथ तुम आ जाओ

आ जाओ, आ जाओ, आ जाओ मेरे यार, साथ तुम आ जाओ।

मातृभूमि का वंदन करते, सीमा पर सेनानी लड़ते। 

रणभूमि में उतर जरा तुम, दो-दो हाथ दिखा जाओ। 

आ जाओ आ जाओ...…

जो पत्थर के बने हुए हैं, कुछ वर्षों से तने हुए हैं।

होठों पर मुस्कान हंसी हो, उर चेतना जगा जाओ। 

आ जाओ आ जाओ.....

खिलते फूल चमन में सारे, कहते चांद गगन और तारे। 

मुस्कानों के मोती चुनकर, प्यार जग में लूटा जाओ। 

आ जाओ आ जाओ...…राम कृष्ण का देश हमारा, सुंदर यह परिवेश हमारा। 

विश्व गुरु सोने की चिड़िया, फिर इसे बना जाओ। 

आ जाओ आ जाओ.......

सद्भावों के फूल खिलाना, राही पथ में मत रुक जाना। 

लेखनी की मशाल हाथ ले, रोशनी पथ करते जाओ।

आ जाओ आ जाओ.....

घट घट पावन गंगा बहती, भारत मां बेटों से कहती। 

आन बान और शान तिरंगा, शान सदा बढ़ाते जाओ। 

आ जाओ आ जाओ....

रमाकांत सोनी नवलगढ़

जिला झुंझुनू राजस्थान

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