गुरुकृपा सिर पर रहे,
रहे प्रभु का ध्यान ।
मिले अनुग्रह सरस्वती,
मिलता अनुपम ज्ञान ।।
गुरूकृपा बिन कुछ नहीं ,
होय न गुरु बिना ज्ञान ।
जीवन बोझिल सा लगे ,
पल पल घुटते प्राण ।।
गुरु वशिष्ठ सानिध्य से,
दशरथ नंदन राम।
सब विधि पारंगत भये
आये अपने धाम।।
संदीपनी आश्रम गये,
श्री कृष्ण भगवान।
गुरु चरणों में बैठ कर,
पाया सच्चा ज्ञान ।।
पदम प्रवीण
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