(मां का कर्ज चुकाना है)
मुझको फर्ज निभाना है
मां का कर्ज चुकाना है
बर्फीली चोटी चढता हूं
दुश्मन से मैं लड़ता हूं
जीतने को रहता तत्पर
आगे हरदम बढ़ता हूं
झंडा निज फहराना है
मां का कर्ज चुकाना है
दुश्मन को मार गिराऊं
झंडा छाती पर लहराऊं
खाकर सीने पर गोली
लड़ते-लड़ते मर जाऊं
मां को हमें बचाना है
मां का कर्ज चुकाना है
भटको को समझाना है
वीरों को बतलाना है
भारत पर आंख उठे ना
हमको तो दिखलाना है
देश हमें महकाना है
मां का कर्ज चुकाना है
दीपा परिहार 'दीप्ति'
जोधपुर (राजस्थान)
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