अमीर रोटी खाता है,
जब उसे भूख लगती है,
गरीब रोटी खाता है,
जब उसे नसीब होती है।
अविश्वास की बातें न करो दोस्तो! ......
सकारात्मक बन.. मेरे दोस्त.. तेरी.
ये ही सकारात्मकता ही.....
मुसीबत के ..भंवर से ..
निकलने में उनकी मदद करेगी
उनके दिलों में रोशनी भरेगी ....
राष्ट्र में अनवरत ऊर्जा का ..संचार करेगी,
वह परमात्मा ....जिसने चोंच दी है
वह चुग्गा भी देता...;
काश ...
उस परमात्मा पर
अखण्ड विश्वास हो।
फिर भी ..
फिर भी ....फिर भी..
गरीब की
रोटी में भगवान बसते हैं।
और
अमीर की
रोटी में पकवान बसते हैं।
दोनों का
असर अलग अलग होता है।
एक पुण्य बोता है
तो एक पाप ढोता है।
माना कि
गरीब
एक अमीर के लिए
काम करता है ,
परन्तु.....
उसके..
पसीने भरी
पेशानी को
जन्नत फरिश्ते सलाम करते हैं ,
जिसकी हसरत में
सारे कौए
हंस की चाल चलते हैं।
क्योंकि..
बिना किसी का
हक मारे
कभी कोई 'अमीर 'नहीं बना
और
ईमानदारी की
इबादत के
बिना कोई 'गरीब 'नहीं बना ।
सी लिए...
उस खून पसीने
और सब्र की रोटी
खाने वाले को मेरा सौ सौ नमन ।
क्योंकि
उसी से ही
शुरू होता है ,
मेरे देश की संस्कृति का चलन।
जी हां,
सब्र की
रोटी से ही शुरू होता है,
' मेरे देश की संस्कृति का चलन'
कुसुम शर्मा'अदिति' जयपुर
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