पावन क्षमा पर्व के क्षमा दिवस पर :-


पावन क्षमा पर्व के क्षमा दिवस पर :-

क्षमा बड़न को चाहिये छोटन को उत्पात |

कहा रहीम हरि को घट्यो भ्रगु ने मारी लात ||

          शताब्दियों पहले कवि रहीम जी ने क्षमा भाव को बहुत ही शानदार उदाहरण के साथ क्षमा की महत्ता बताते हुए उपर्युक्त दोहा रचा था |इस दोहे के भावों की हर युग में आवश्यकता और सार्थकता रहेगी |

जैन धर्म ने आज के दिवस को क्षमा पर्व के रुप में अपनाया है और इसे प्रति वर्ष जैन समाज अन्य समाजों के साथ भी बीते वर्ष में किसी भी तरह की हुई भूल चूक जाने अनजाने में हुई त्रुटि, क्रोध प्राकट्य के लिए खेद प्रकट करते हुए क्षमा याचना कर उसे भुला देने का आग्रह करते समरसता से मधुर व्यवहार करने का आश्वासन और आग्रह करते हैं |

                मैं भी इस अवसर पर सविनय निवेदन करता हूँ कि बीते वर्ष में यदि मेरे किसी तरह के व्यवहार से, शब्दों से, ठेस पहुंची हो, अच्छा प्रतीत नहीं हुआ हो, किसी तरह से कष्ट महसूस हुआ हो तो मैं क्षमा प्रार्थी हूँ |

         इस अवसर पर मैं आपके लिए आपके उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता हूँ | 

         इस अवसर पर में आपके लिए ईश वंदना करता हूँ |

          इस अवसर पर मैं आपके लिए सुख, समृद्धि की कामना करता हूँ | 

          इस अवसर पर मैं आपके लिए यह सब कुछ करने के लिए ईश्वर को श्रद्धा से नमन करता हूँ | 

                 तेज सिंह राठौड़, सीकर.

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