ममता नहीं समता में जिए

          -                                     ममता में कर्म बन्धन है मोह राग-द्वेष द्वन्द है , समता बन्धन रहित है 

, अपने अंदर के सोफ्टवेयर में अपनी सोच के कंसेप्ट को बदलना है , कोई निन्दा करें या प्रशंसा सम रहे ,

 आजकल नेता लोग भी इस गुण को अपना रहे हैं वे अंदर कुछ भी महसूस करे लेकिन बाहर व्यक्त नहीं करते है

 , हम आपसे यह कहते हैं आप अंदर बाहर समता भाव में रहे । अपनों से अपेक्षा व दूसरों की उपेक्षा बिल्कुल भी नहीं

 करें , इससे मन में नफरत का बीज बोया जाता है , यह नफरत का बीज ही हमें जन्म-जन्मांतरो तक कर्मो की सजा

 करवाता रहता है , आप सत्य अहिंसा के पथ पर निर्भिकता के साथ चले, आप अपने अंदर नई ऊर्जा महसूस करेंगे।                                      

अनिल चेतन दशमेश नगर मेरठ

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