यूं कर रहे हैं वो मेरा सम्मान देखिए।
आता नहीं है उनको
मेरा ध्यान देखिए।।
जिनको जिताया, सर रखा
पूजा जिन्हें हमें।
घटती है हमसे मिलके
उनकी शान देखिए।।
आऐंगे जब कभी
तो जरा ध्यान दीजिए।
देना है हरकदम उन्हें
सम्मान देखिए।।
लेते नहीं ख़बर कि हैं किस हाल में प्रियवर।
कहते कभी हमको हो जी मनप्रान देखिए।।
काटा है पेड ख़ुद ही
कुल्हाड़ी की धार से।
लाने चले हैं उसमें फिर
वो जान देखिए।।
टीपा है हर हरूफ़
किसी की किताब से।
अब छप रहा है उनका भी
दीवान देखिए।।
जलती रही शिखा औ
तडपता रहा शलभ।
दीवानगी में किसको रहा ज्ञान देखिए।।
लखन पाल सिंह शलभ
भरतपुर
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