झोंपड़ी में बसते भगवान


झोंपड़ी का करिए सम्मान,

  झोंपड़ी में बसते भगवान। 

    झोंपड़ियों में भी प्रतिभाएं, 

      अगणित मिली महान।।

बहुत बड़ा दिल रखें झोंपड़ी,

   उनमें रत्न मिलेंगे ।

       उनके श्रम से ही भूतल पर,

         उन्नति- सुमन खिलेंगे।।

 ख़ुद रहती हैं अंधकार में,

    जग में करें उजाला।

       दूर सदा रहता है उनसे,

         सुख- अमृत का प्याला।।

प्रासादों को बन जाती हैं,

  झोंपड़ियां वरदान।

    झोंपड़ी का करिये सम्मान, 

     झोंपड़ी में बसते भगवान।

झोंपड़ियों से ऊर्जा पाकर ,

  उपवन हरे- भरे हैं ।

    सजे- धजे हैं महल- अटारी,

       नव शृंगार धरे हैं।।

रहे नहीं बदहाल झोंपड़ी,

    उसकी सुधि लेनी है।

      मिटे नहीं अस्तित्व किसी का,

          गति सबको देनी है

करे झोंपड़ी उन्नति, होगा-

  भारत का उत्थान।

     झोंपड़ी का करिये सम्मान,

       झोंपड़ी में बसते भगवान

प्रासादों में वैर उपजता,

  घृणा-द्वेष जगता है।

     असंतोष और षड्यंत्रों का,

        बीज वहीं उगता है।।

 रहे झोंपड़ी मानवता और,

    ममता की हमजोली।

      है अक्षय संतोष वहां पर,

         समता की रंगोली।।

प्रेम- शांति को सदा चढ़ाती,

  झोंपड़ियां परवान।

    झोंपड़ी का करिये सम्मान, 

      झोंपड़ी में बसते भगवान।।3।

भूचालों में अडिग झोंपड़ी,

   अपना दमख़म रखती। 

     चिंताओं का भी हल पाती,

         पीड़ाओं को चखती।।

 प्राणों पर पाहन रखकर भी,

    सब शूलों को सहती।

      लेकिन सदा सत्य की अंतः,

         गंगा उर में बहती।।


श्रम के साधक बसें वहां पर,

  नभ का खुला वितान।

    झोंपड़ी का करिये सम्मान,

      झोंपड़ी में बसते भगवान।।4।

मानवता का तीर्थ झोंपड़ी,

   शांति- उटज संस्कृति का।

      पारिजात जहां पलें प्रेम के,

        है प्रवाह संस्कृति का।।

 मर्यादा के विहग जहां पर,

   मधुमय कलरव करते।

     भाव,अभावों में भी रहते,

         मानस-हंस विचरते।।

झोंपड़ियों में विश्व शांति के,

  गूंजा करते गान।

    झोंपड़ी में बसते भगवान,

     झोंपड़ी का करिये सम्मान ।।5

झोंपड़ियों को चाह नहीं है,

   ऊंची उठे गगन में,

      तृष्णाएं उनकी सीमित हैं,

        आह छिपाएं मन में ।।

सदा झोंपड़ी की पीड़ाएं,

    सबको रहें अजानी।

       करते रहें उपेक्षित उनको,

          नित-प्रति ही अभिमानी ।।

✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️

हर इक चोट सहन करके भी,

  रखे नीति की आन।

   झोंपड़ी का करिये सम्मान,

    झोंपड़ी में बसते भगवान।।6।।

दुर्गम पथ, दुर्गम जीवन में,

  दुर्लभ है सुख पाना।

     व्योम तले पीड़ित प्राणों को,

       जीवन पड़े बिताना।।

 मुक्त पवन ही जीवन का धन,

    राशि तृणों की वैभव।

      इच्छाएं क्वारी रहती हैं,  

         स्वाभिमान है गौरव ।।

🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷

तभी झोंपड़ी बना सकी है,

  अपनी भी पहचान।

   झोंपड़ी का करिये सम्मान,

     झोंपड़ी में बसते भगवान।।7।

दीनों में ही दीनबंधु हैं,

    दीनों में ही ईश्वर।

        दीनों में सच्चे इंसां हैं ,

          हैं भावों के निर्झर।।

दीनों में ही दिनकर होते,

   हैं प्रताप दीनों में ।

     उज्ज्वल दीप झोंपड़ी में हैं,

      सहनशक्ति दीनों में।।

☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️

रहे नहीं अनमनी झोंपड़ी,

  करे अब विष-पान।

   झोंपड़ी का करिये सम्मान,

    झोंपड़ी में बसते भगवान।।8।।

🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸

वैभव और विलासों से तो,

   इसका मेल नहीं है ।

     करनी पड़े साधना इसको,

       जीवन खेल नहीं है।।

🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃

जग के झंझावातों में भी,

  इसको टिकना पड़ता।

    इतिहासों का स्वर्ण-पृष्ठ भी,

      इसको लिखना पड़ता।।

🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉

 रही सदा ख़ुद्दार झोंपड़ी,

  लाती नया बिहान।

   झोंपड़ी का करिये सम्मान, 

    झोंपड़ी में बसते भगवान।।9।।

💐💐💐💐💐💐💐💐

तपस्थली जब बनी झोंपड़ी,

   तब- तब मान बढ़ा है।

     उस में रहकर ऋषि-मुनियों ने ,

        नव इतिहास गढ़ा है ।।

🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀

जब- जब विध्वंसों ने अपने,

   भारी शीश उठाए।

     तब झोंपड़ियों ने निर्माणों,

         के शुभ शंख बजाए।।

🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻

 विदुर और शबरी की कुटिया,

   बनी सिद्धि- स्थान।

   झोंपड़ी का करिये सम्मान,

    झोंपड़ी में बसते भगवान।।10

❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️

झोंपड़ियों में रहती आई,

   जीवन की सच्चाई।

      युग के अंधकार की पड़ती,

         महलों पर  परछाई।।

🌱🌱🌱🌱🌱🌱🌱🌱

झोंपड़ियों को निज गोदी में ,

   भू ने सदा सहेजा ।

      भीषण तूफ़ानों से इनका,

         कांपा नहीं कलेजा।।

🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸

सत्ता इनके संकेतों से,

  करती पथ आसान।

   झोंपड़ी का करिये सम्मान,

      झोंपड़ी में बसते भगवान।11

🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺

फूल बने अंगारा चाहे,

   बुझे नहीं ध्रुव- तारा।

     झोंपड़ियों में सद्भावों की,

        बहती पावन धारा।।

🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿

 इनके हृदय- सरोवर का है,

    सुंदर- सरस किनारा।

       सदा झोंपड़ी ने महलों के,

         सिर का भार उतारा।।

🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️

राम- रतन- धन की मंजूषा,

  मिलती यहां महान ।

   झोंपड़ी का करिये सम्मान,

    झोंपड़ी में बसते भगवान।।12

🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

कभी झोंपड़ी को पापों की,

   ज्वाल नहीं छू पाई।

       क्रूर घृणा- ईर्ष्या- कांटों की,

          बाड़ न यहां लगाई।।

🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃

 सदा संस्मरणों मैं इसका,

    नित उल्लेख हुआ है।

     धैर्य-सलिल पी शांत झोंपड़ी,

        देती सदा दुआ है।।

💥💥💥💥💥💥💥💥

 दुनिया बदले मगर झोंपड़ी,

   बदले ना ही ईमान।

    झोंपड़ी का करिये सम्मान,

     झोंपड़ी में बसते भगवान।।13


झोंपड़ियों ने किया यहां पर,

   लंबा सफ़र समय का ।

      जब देखा है मुखड़ा इनने,

         स्वर्णिम- सूर्योदय का।

 कितने ही सन्नाटे झेले,

     होंगे निज छाती पर।

        लेकिन गर्व किया है अपनी,

           संस्कृति की थाती पर।।

 उजड़ा ना आकाश सुहाना,

   भटका ना संधान।

     झोंपड़ी का करिये सम्मान,

      झोंपड़ी में बसते भगवान।14

महलों में ही फ़सल मोतियों,

   की केवल कब होती।

       झोंपड़ियों में भी मिल जाते,

          अनगिन हीरे- मोती ।।

आओ मिलकर झोंपड़ियों की,

   पोंछें गीली पलकें।

      दिल को ठेस लगे ना कोई ,

         अब ना आंसू छलकें।।

 शोषण- मुक्त बना लें आओ,

  अपना हिंदुस्तान।

    झोंपड़ी का करिये सम्मान,

      झोंपड़ी में बसते भगवान।15

वेद प्रकाश शर्मा "वेद" भरतपुर 

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