हिंदी को हमे बचाना है..

       हिन्द देश के वासी है, हिंदुत्व हमारी पहचान है,

राष्ट्र भाषा है हिंदी हमारी,सारे विश्व में पाया सम्मान है...

14 सितम्बर 1953 का दिन वो प्यारा था,

सर्वसम्मति से आदरणीयों ने हिंदी दिवस का प्रथम त्यौहार मनाया था...

तब से अब तक सुन्दर ये प्रथा चली आई है,

राष्ट्र भाषा के सम्मान दिवस की देते सबको बधाई है.. 

"अ " से "अ:" तक "क "से "ज्ञ "तक वर्णों का सुन्दर मेल है,

समझ जाये जों इनको प्यारे, वो शब्दों का खेले खेल है,

आज हमारे प्यारे बच्चों A, B, C तुमको आता है,

अ से अ: तक बोलने में संकोच तुम्हें क्यों आता है...

"मॉम "शब्द से ज्यादा "माँ "में भरी ममता है,

"पिता" शब्द जों दुलार भरा है "डैड " में क्या रखा है...

राष्ट्र भाषा क सम्मान दिवस की देते सबको बधाई है 

"टीचर" शब्द में वो सम्मान कहाँ जों "गुरूजी "

कहने में लगता है,

"सर "कहने में रोब झलकता "गुरूजी "में आत्मीय स्नेह और सम्मान है...

बस इतना समझो अब प्यारे...

हिंदी को हमे बचाना है..

हिन्द देश के वासी है, हिंदी का परचम फहरना है.....

राष्ट्र भाषा "हिंदी दिवस " की देते सबको बधाई है 


बरखा विवेक बड़जात्या

बाकानेर, जिला. धार

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