दशलक्षण महापर्व शुरू हो रहे हैं,
दस दिन क्या करे?
तो आओ हम सब अपनी शक्ति और परिणामों को शुद्ध करे और दस दिन संयमित जीवन जीने का प्रयास करें।
👉रात्रि भोजन का त्याग।
👉रात्रि अन्न जल आदि सबका त्याग।
👉बाजार की मिठाई,नमकीन, बिस्किट आदि सबका त्याग क्योंकि अशुद्ध अनछाने पानी से बनता है।
👉दिन में कम से कम १ घंटे का स्वाध्याय।
👉प्रतिदिन मंदिरजी जाकर जिनदर्शन,भक्ति,पूजा करना।
👉सिनेमा,टेलीविजन नहीं देखना।
👉हरी सब्जियों का त्याग।
👉चार महादान(शास्त्र दान,अभय दान आदि) में से कोई भी एक दान रोजाना या जितना हो सके करना।
👉पाँचों पापों का यथाशक्ति त्याग करना।
👉जितना हो सके जिनधर्म की प्रभावना करना।
👉कषाय रहित परिणाम रखना।
👉एकाशन या पूर्ण व्रत या जितना हो सके।
👉इन्द्रियों को अपने Control में रखने का हरसंभव प्रयास।
👉हमेशा धर्म के कार्यों में संलग्न रहना।
👉व्यापारादि कम से कम करना,यदि हो सके तो ना करना।
👉ज़मीन कंद कन्दमूल आदि वस्तुओं का त्याग
👉रोजाना एक घंटे का मौनव्रत
👉हर दिन एक घंटे मोबाइल का त्याग(जाग्रत अवस्था में अर्थात जागते हुए ही)
👉चमड़े इत्यादि की वस्तुओं का त्याग
👉भोजन में झूठा ना छोड़े
👉सभी प्रकार के अचारों का त्याग
👉वाहनों का सीमित उपयोग
👉हरी वनस्पति पर चलने का त्याग
👉जितना हो सके धर्ममय प्रवृति रखना।
👉पाँच अणुव्रतों का यथाशक्ति पालन करना।
👉तीन गुणव्रत व चार शिक्षाव्रत का यथाशक्ति पालन करना।
👉गमन करने की व परिग्रह की यथाशक्ति सीमा बाँध लेना
👉प्रत्येक धर्म को अंगीकार करने का प्रयास करना।
👉ये दस धर्म नहीं बल्कि धर्म के दस लक्षण है।इसीलिए वस्तु के स्वभाव धर्म को जानकर ज्ञाता दृष्टा रहने का पुरुषार्थ करना।
👉अपना ज्ञाता दृष्टा स्वरूप समझकर कर्तत्व बुद्धि को छोड़कर धर्म के दस लक्षणों को ध्याना।
👉किसी भी नियम की मर्यादा को यथाशक्ति कम या ज्यादा किया जा सकता है।
👉१० दिन तत्वार्थ सूत्र पढ़े और सबको शीघ्र ही तत्वज्ञान हो तथा हम भेदज्ञान करके इस भवसमुद्र को पार करें।इसी मंगल भावना के साथ आप सबको दशलक्षण पर्व की शुभकामनाएँ।
🔴मनुष्य जन्म से नहीं कर्म से महान होता है~भगवान महावीर स्वामी जी
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