जीवन सच में है वही,
आए परहित काम,
अपने हित को जो जिए ,
बस जीवन है नाम।
बस जीवन है नाम ,
निरर्थक साँसें लेते ,
नदियाँ बादल वृक्ष ,
सभी फल परहित देते।
नहीं भले हों काम ,
कहो फिर कैसा ये धन?
मिले घना यश-मान,
जिएं जो परहित जीवन।।
डॉ० शिशुपाल
उज्जैन 27 नवम्बर 2022। महावीर तपोभूमि उज्जैन में ‘उज्जैन का जैन इतिहास’ विषय पर आचार्यश्री पुष्पदंत सागर जी के प्रखर शिष्य आचार्यश्री प्रज्ञ...
No comments:
Post a Comment