शिक्षक युग के निर्माता है


शिक्षक हैं युग के निर्माता, करते वेद बखान।

राह दिखाते हैं नई, सतगुरु सम भगवान।।


आदर्शों में है सदा ,शिक्षक एक मिसाल 

मार्ग दर्शन  आपका, कटते जग जंजाल।


गुरु की महिमा है अनंत, गुरु सिखाएं ज्ञान

उजियारा घट में करें, सकल गुणों की खान।


चरण कमल वंदन करूं, होता ज्ञान प्रकाश

आदर्शों के महा मना, श्रद्धा और विश्वास।


गुरु तत्व की प्रशंसा, करते वेद बखान

सकल दोष शिक्षक हरे, जड़मति होत सुजान।


अंधियारा अज्ञान का, करते गुरुवर दूर

आत्मज्ञान  अरु धर्म का, मिले लाभ भरपूर।


त्रिलोक पति भी कर रहे, सतगुरु का गुणगान

महिमा अपरंपार है, व्यापक सकल निधान।


बिना कृपा गुरुदेव की, कुछ भी संभव नांहि

कस्तूरी कुंडल बसे, मृग ढूंढे बन मांहि।


कवि संत कुमार 'सारथि' नवलगढ़

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