आई विपदा देखिए ,कष्ट मिटाओ ईश।
चरण शरण हम आपके, कृपा करें जगदीश।।
जीवन की पतवारआपके हाथों में है।।
हरिहर करते याचना,हाथ रखो अब शीश।।
जनमन जीवन काँपता, बिखर गए परिवार।
उदर पालने जो गए, बेघर हुए मनीष।।
समय चक्र की मार से,आकुल-व्याकुल लोग।
ठप्प पड़े बाजार है, मिटे ताप अवनीश।।
दाता सबके आप हैं, प्रभुवर पालन हार।
द्वार खड़े हम विनय से, मिले मुक्त आशीष।।
मंगल कारज बंद हैं, सभी लगाए आस।
मात-पिता है देखते ,भरिए पुण्य प्रबीस।।
टले आपदा विश्व से, अति का करिए अंत।
शरणागत प्रभु आपके, स्वस्थ रखें इक्कीस।।
अमिता,रवि दूबे
छत्तीसगढ़
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