हंसो दिल खोलकर हंसो । जितना हो सके जीवन में उतना हंसो। क्योंकि हंसना मनुष्य के ही नसीब में होता है। हंसना जानवरों के नसीब में नहीं होता है। दुख_ सुख की घड़ी में जो मनुष्य नहीं हंसता है।वह जानवर के समान होता है। जानवर का परिवार नहीं होता है। इसलिए उस के नसीब में हंसना नहीं होता है ।जिसका परिवार होता है ।उस के नसीब में हंसना होता है। जानवर तो बेजुबान होता है। मनुष्य जुबान वाला होता है। इसलिए उस भला बेजुबान के नसीब में हंसना नहीं होता है। जब चाहो तब उसके परिवार को तोड़ देते हो ।अपने स्वार्थ में अपने लालच में। वह हंसेगा कैसे। जिसका परिवार होता है। वही हंसता है ।परिवार ही सकारात्मक उर्जा का सर्वोपरि स्रोत होता है। हंसो लेकिन सकारात्मक, दूसरों के तकलीफ पर मत हंसो दूसरो को तकलीफ पर हंसना वह अपने तकलीफ का बुलावा देना होता है। दूसरे के कष्ट में सहयोग दो, उसके उर्जा को सकारात्मक बनाओ ।और उसे हंसने के लिए मजबूर करो ।ताकि वह अपने जीवन में हंस सके। हंसना एक चकित्सा भी है। जो व्यक्ति हमेशा हंसता है या हंसमुख रहता हैं। वह अपने जिंदगी में कभी असफल नहीं होता है ।क्योंकि वह दुख को भी हंसते-हंसते झेल जाता है। और तनाव से मुक्त रहता है। हंसमुख चेहरा हमेशा संकट की घड़ी में भी दृढ़ता पूर्वक अपने विकराल समस्या से टकराने में सक्षम होता है। और उसका श्रेय परिवार से संबंधित होता है। परिवार समाज की ऐसी इकाई है जिसमें हंसना बोलना समझना और आपस में चिंतन करना सभी रहस्यों को एहसास कराता है इसलिए जीवन में दुख हो या सुख हंसते रहना चाहिए ।तुम कुछ कर नहीं सकते हो। मारना शाश्वत सत्य है। हंसकर मरना सीखो क्योंकि मरने के बाद भी मौत तुम पर गर्व करेंगी ।और सोचने पर मजबूर हो जाएगी ।यह इंसान कैसा है। जो मुझसे से डरा नहीं और हंसते हंसते मुझे आलिंगन किया। जीवन में कभी रोना मत सीखो। कितना भी तकलीफ हो उसको हंसकर जीना सीखो हंसना एक हथियार है ।जो आपको हर समस्या से लड़ने का ताकत देता है। परिवार और हंसने का तात्पर्य है कि बनावटी परिवार और बनावटी हंसी नहीं होनी चाहिए। यह घातक होता है । कहने का
तात्पर्य है, कि बिना मतलब का हंसना
वर्जित है ।वास्तविक हंसी हंसो जिससे सकारात्मक ऊर्जा पैदा हो और जीवन में कुछ कर सको।
दीनानाथ
मु+पो०रुपसागर, जिलाबक्सर
No comments:
Post a Comment