आओ री सखी! दसलक्षणजी मनायें
तीर्थंकरों की वाणी गुनगुनायें, हमारे सारे दुःख दूर हो जाए
कर्मों की मार ऐसी पड़ी, आयी बड़ी कठिन घड़ी
नहीं कोई ठोर नज़र आये, प्रभुजी के चरणों दृष्टि झुकायें,
आओ री सखी, दस लक्षणजी मनाएँ।
उत्तम क्षमा क्षमाशील बनाए , उत्तम मार्दव मान घटाए
उत्तम आर्जव बड़ा गुणकारी, भटकी नाँव पार लगाये
आओ री सखी दसलक्षणजी मनाएँ।
उत्तम सत्य का तेज सूर्य सा, उत्तम शौच से पवित्रता आए
उत्तम संयम आत्मबल बढ़ाए, उन्नति के पथ पर साथ निभाए
आओ री सखी, दसलक्षणजी मनाएँ।
उत्तम तप की महिमा न्यारी, उत्तम त्याग से संबल आए
उत्तम अकिंचन परिग्रह घटाए, वीतरागता के पथ पर बढ़ते जाए
आओ री सखी, दसलक्षणजी मनाएँ।
उत्तम ब्रह्मचर्य आत्मदर्शन कराए, क्षमावाणी का स्वर्णिम भाव धारें
क्षमा करे और क्षमा माँगे, हम सब जैन दर्शन की महिमा गायें
आओ री सखी, दस लक्षणजी मनाएँ।
नेहा जैन अमेरिका
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