आज तक जो भी मशहूर हुए या कामयाब हुए हैं.. उन सब में मैंने एक बात सामान्य रूप से देखी है.. पढ़ी है..सीखी है कि.. उन्होंने अपने साथ हुए हर हादसे का बराबर हिसाब रखा है.. साथ ही जो अधूरे रहे गए उन ख्व़ाबो को अपने सीने में सदा जिंदा रखा है..आज कुछ उन्हीं कामयाब लोगों की जिंदगी से प्रेरणा लेकर कुछ लिख रही है क़लम-ए-कमल..!
ज़िंदगी के हर हादसे का जो भी बराबर हिसाब रखते हैं..!
जो अधूरे रह गए सीने में दफ़न सदा वो ख्वाब रखते हैं..!
लाख गर्दिश में हों वक्त के सितारे वो कामयाब होते हैं..!
जो अपने हौसलों की तलवार पर सदा आब रखते हैं..!
चांद सूरज हर किसी को कहां मिलते हैं जिंदगानी में..!
उन्हें भी मंजिल मिली जो अंधेरों में साथ चराग रखते हैं..!
पूरा कौन है जमाने में हर कोई कहीं ना कहीं से अधूरा है..!
जिसने यह जान लिया वो कब किसी से विवाद रखते हैं..!
धरा पर आज मानव की भीड़ है इंसान कहां मिलता है..!
सयाने लोग इसीलिए तो हर एक से कब संवाद रखते हैं..!
कुछ हादसों का असर ही है जो कमल ने क़लम थामी है..!
उनसे रुबरू न मिलते कलम की नोक पे फरियाद रखते हैं..!
आब=धार
मौलिक
अप्रकाशित
कमल सिंह सोलंकी
रतलाम मध्यप्रदेश
No comments:
Post a Comment