नारी पर पिरामिड

  

मैं 

नारी 

घुटती 

तड़पती 

संघर्षरत

उदासीनता में

जीवन मेरा यह


मैं 

त्याग 

तपस्या

की मूरत

ममतामयी

अपनत्व भरा

आंचल में समेटे



मैं 

वह

जननी

है जिससे

इस जहां में

मनुष्य नाम का

प्राणी का अस्तित्व है


डॉ दीपिका राव राजस्थान

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