श्रेष्ठ सिद्धांतो को धारण करने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी व पूर्व प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की जन्म जयंती




वागड की सांस्कृतिक नगरी सागवाडा में वर्षायोगरत विद्यमान 21वी सदी के युवामहाऋषी संयम भूषण चतुर्थ पट्टाचार्य श्री सुनिलसागर जी गुरूराज की प्रवचन सभा मे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी व पूर्व प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की जन्म जयंती के उपलक्ष्य में सागवाडा क्षेत्र के विभिन्न शिक्षालयों के हजारो विद्यार्थी उपस्थित हुए जिनमे सैकड़ो बाल गोपालो ने राष्ट्रपिता लोकनायक महात्मा गांधी की वेशभूषा धारण करते हुए सादा जीवन-उच्च विचार का महान सन्देश प्रस्तुत किया वही नन्ही नन्ही बालिकाएं कस्तूर बा कि वेशभूषा धारण करते हुए एक महिला की राष्ट्र के प्रति सर्वोच्च योगदान का सन्देश दिया*


आचार्य श्री सुनिलसागर जी गुरूराज उपस्थित हजारो श्रोताओं के मध्य एक सुंदर मुक्तक के माध्यम से अहिँसा क्रन्ति व आंदोलन के जनक महात्मा गांधी जी के जीवन पर विस्तृत प्रकाश डाला

बरसो से जड़े जमाए हुए वृक्षो को जो उखाड़े दे उसे आंधी कहते है

और

बरसो तक गुलामी को देने वाले अंग्रजो को जो उखाड़ दे उन्हें महात्मा  गांधी कहते है

आचार्य श्री ने गांधी जी के जीवन का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि एक बार गांधी जी ट्रेन से यात्रा कर रहे थे तो उनका एक चप्पल गिर गया तो कुछ ही दुरी पर उन्होंने अपना दूसरा चप्पल भी फेक दिया जिस पर सहयात्री ने कारण पूछा तो महात्मा जी ने कहा की एक चप्पल न तो मेरे काम आएगी न दूसरे की ओर वह चप्पल में वापस प्राप्त कर नही सकता इसलिए दूसरा चप्पल में उसी क्षेत्र में छोड़ दूंगा तो जिसे भी मिलेंगे उनके काम आएंगे

महात्मा गांधी जी ने राजनिति व राष्ट्र सेवा को एक सन्त के समान ईमानदारी,निस्पृहता,अहिँसा, सादगी व परोपकार के साथ की जा सकती है इसकी जीवन्त मिसाल सम्पूर्ण विश्व के सामने रखकर भगवान महावीर के  त्याग-शांति, सादगी व नेक सिद्धांतो की ताकत को बतलाकर सबको अचंभित कर दिया

महात्मा गांधी जी द्वारा इस दुनिया को जो सटीक आयाम दिए उसमे सबसे प्रमुख ये की बिना हिंसा व बिना विध्वंसक हथियारों से भी बड़ी बड़ी जंगे व लक्ष्य हासिल किये जा सकते है,विरोधियों के ह्रदय परिवर्तित किये जा सकते है व पत्थर दिलो में भी दया पनपाई जा सकती है और आज इन्ही आयामो से सम्पूर्ण विश्व व राष्ट्र मे शांति स्थापित रह सकती है


आचार्य श्री


सुनिलसागर जी गुरूराज की अमृतवाणी अंशो से शब्दसुमन-शाह मधोक जैन चितरी✍


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