सपना

शाहदरा दिल्ली के रेलवे  स्टेशन पर सीनियर टिकट कलेक्टर दिव्या काकरान को पहलवानी के लिए जब अर्जुन अवार्ड ग्रहण करने के लिए स्टेज पर बुलाया गया तो उसने कहा -“मैं अपना यह पुरस्कार अपने पिता सूरज पहलवान के साथ साझा करना चाहती हूँ ,जिन्होंने बचपन से ही मेरे अंदर ही नहीं ,दोनों भाइयों के भीतर भी पहलवानी के शौक़  के बीज बो दिए थे ।मेरे पिता ऐसे न होते,तो मैं यहाँ तक न पहुँच पाती।”सूरज पहलवान स्टेज पर आए ।उन्होंने पुरस्कार को बेटी के साथ थामा ,तस्वीरें खींच गईं ।उन से माइक पर कुछ कहने के लिए कहा गया ,वे बोले -“सभी सम्माननीय महानुभावों को प्रणाम करने के बाद मैं कहना चाहता हूँ कि मैं नहीं जानता था की मेरी बेटी एक दिन देश का गौरव बढ़ाकर मेरा भी गौरव बढ़ाएगी ।मेहनत मैंने तीनों बच्चों के साथ की ,लेकिन इसकी लगन और इसका कौशल बढ़ता ही गया ।इसने अब तक अंतरराष्ट्रीय कुश्ती में चौदह पदक भारत के नाम किए हैं जिनमें पाँच स्वर्ण ,चार रजत और पाँच कांस्य हैं ।जब यह कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियन गेम्स में कांस्य पदक जीतकर आयी तो मेरा सीना चौड़ा हो गया था ।मैं यहाँ यह भी बताना चाहता हूँ कि पहलवानी मैंने भी की थी ,लेकिन मैं कोई जगह हासिल नहीं कर सका ,फिर मैंने अपने बच्चों को अखाड़े में उतारा ।आर्थिक पक्ष मेरा बिलकुल मज़बूत नहीं था ।बस इरादा बुलंद था और हौसला मज़बूत ।यहाँ तक कि इसकी माँ ने लंगोट सिले और मैंने अखाड़े में पहलवानों को बेचे ।हमें भूखे भी रहना पड़ा तो रहे ,पर बच्चों को कोई कमी नहीं होने दी और परमात्मा ने हमारी मेहनत का फल हमें दे दिया ।हम परमात्मा के और आप सब के शुक्रगुज़ार हैं कि आज यह शुभ दिन दिखाया ।”

     तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा सभागार गूंज गया ।

  डॉ०सुषमा सिंह-आगरा 


No comments:

Post a Comment

Featured Post

महावीर तपोभूमि उज्जैन में द्वि-दिवसीय विशिष्ट विद्वत् सम्मेलन संपन्न

उज्जैन 27 नवम्बर 2022। महावीर तपोभूमि उज्जैन में ‘उज्जैन का जैन इतिहास’ विषय पर आचार्यश्री पुष्पदंत सागर जी के प्रखर शिष्य आचार्यश्री प्रज्ञ...

Popular