झोंपड़ियों के दुख क्या जानें ,
ऊँचे रुतबे - पद वाले ?
ऊँची सोच कहाँ रख भूले ,
लोग ये ऊँचे क़द वाले ?
अपनी शानौ-शौकत ख़ातिर ,
शौक़ अनेकों रखते हैं ।
गांजा, चरस, अफीम, कोकेन ,
हेरोइन भी चखते हैं ।
औरों के अधिकार छीनकर ,
फ़र्ज़ ताक पर रखते हैं ।
नियम और क़ानून- प्रशासन ,
सुना ज़ेब में रखते हैं ।
राज निरंकुश करते हैं ये ,
धन के मद में मतवाले ।
ऊँची सोच कहाँ रख भूले ,
लोग ये ऊँचे कद वाले......
दया, क्षमा, परोपकार और
पर-दुख को ये क्या जानें ।
ख़ुद को शक्तिमान ये समझें ,
ईश्वर को भी ना मानें।
मुट्ठी में माया की गर्मी ,
दुष्कर्मों के दीवाने ।
राग अनूठे देखो इनके ,
अनुपम इनके अफ़साने ।
उजले कपड़े धारण करते ,
कर्म करें बेहद काले ।
ऊँची सोच कहाँ रख भूले ,
लोग ये ऊँचे कद वाले.....
सरस्वती से दूरी रखते ,
लक्ष्मी इन्हें बड़ी प्यारी ।
उच्च पदों पर बैठे लेकिन,
पाप करें इनकी ख़्वारी।।
लोभ-लालसा वशीभूत हो ,
अक्ल गई इनकी मारी ।
गिने-चुने होकर संख्या में ,
सवा करोड़ पर हैं भारी ।"बिन्दु" कहे क्या शिक्षा देंगे ,
दुर्व्यसनों की लत वाले ?
ऊँची सोच कहाँ रख भूले ,
लोग ये ऊँचे कद वाले...
बिंदु 'पूर्णिमा'
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