सीता रूप धर जग जननी
जीवन भर दुख उठाई थी।
महलों का सुख तज कर एवं
दर-दर की ठोकरें खाई थी।।
महाबली दशानन का अंत
देखो कितना बुरा हुआ था।
हित कुटुंब गए थे सब मारे
जमीन पर वह पड़ा हुआ था।।
खुद पर जो भी है इतराया
समय उसको है धूल चटाया।
समय बड़ा बलवान है भईया
उससे पार भला कौन पाया।।
वक्त से है जिसने भी खाना
उसका मटियामेट हुआ है।
वक्त का हुआ वह शिकार
दुर्दिन से उसका भेंट हुआ।।
कह गए पीर फकीर सभी
बंदे समय की गति पहचान।
जोर नहीं चलता किसी का
समय होता है बड़ा बलवान ।।
अंधा देखे और गूंगा बोले
लंगड़ा उड़कर अंबर छू ले।
समय जिसके साथ खड़ा हो
बंद कपाट किस्मत के खुले।।
देख विधि का यह विधान
हैरत में पड़ता है जहान।
एक स्वर में लोग सब बोले
भैया समय बहुत बलवान।।
मीरा सिंह "मीरा"
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