गरीब घरों की लड़कियां

 गरीब घरों की लड़कियां

"अरे ! सुधा !!  सुनती हो?" घर में घुसते हुए नमिता ने अपनी सहेली सुधा को आवाज लगाते हुए कहा। आवाज सुनकर सुधा  किचन से बाहर निकली और बोली, अरे ! नमिता !! आओ, आओ । क्या हुआ ?  नमिता ने बड़े रहस्य का  उद्घाटन करते हुए कहा, ध्यान हैं गली के कॉर्नर पर जो लड़की ,,,,,,,, अपनी बूढ़ी मां के साथ !" सुधा ने हां में हां मिलाते हुए कहा, " हां हां, जानती हूं बहुत नाज नखरे बाज। उसके लक्षण तो मुझे कभी ठीक नहीं लगे। जब देखो पढ़ाई के बहाने किताब लेकर इधर-उधर..... ।" सुधा ने  मन ही मन कुछ अनहोनी का अंदेशा लगाते हुए किंचित प्रसन्न होते हुए कहा। नविता बोली , "हां -हां । वही मैंने तो कभी सोचा भी नहीं था कि वह  ......।" उसकी बात को बीच मे ही  काटते हुए सुधा बोली, " ऐसे घरों की लड़कियां ऐसी ही होती हैं।"  नमिता ने कहा,  अरे !!!  सुना है वह आर ए एस बन गई है !" 

सुधा का मुंह खुला का खुला रह गया।

  शबनम भारतीय

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