छुप प्यार करता हूॅ

 मुहब्बत तुमसे की इजहार  से डरता  हूॅ

दुनिया की नज़रो से छुप प्यार करता हूॅ

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जमाने  का दस्तूर  हे डराते सब है  यार

तुम हो दौलत परी मुफ़लीसि से डरता हूॅ

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प्यार   की  मशाल  जलाई  हे  मैने  भी

अंधेरो में अपनी  परछाई  से  डरता  हूॅ

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प्यार के जिस दर्द को सहकर देखा मैने

जिंदगी  से दूर  रहने  का  मन करता हूॅ

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तलब, इंतजार, तमन्नाए, सब अधुरी  है

सब कह  दूॅ तुमसे मे दिल से कहता  हूॅ 

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रस्मे  ओर उल्फ़त निभाता  रहा  हूॅ  मै

मगर यारों सामने आने से  कतराता हूॅ

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ख़ामियां  हर  इंसा मे  होती  हे "मोहन'

सच   बोलने   से  यारो   मै   डरता   हूॅ

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मनमोहन पालीवाल-राजस्थान

                            कांकरोली


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