कौन अमीर गरीब यहाँ पर , समय बड़ा बलवान है
निर्धन कहते थे जिसे तुम ,आज वही धनवान है
जो महलों में रहा कभी ,आज सड़क पर सोता है
उन दिनों को याद करता ,झर-झर करके रोता है
घमंड कभी न करना बन्दे , जाने क्या-क्या होता है
आज खजाने भरे हुवे है, कल जाने क्या खोता है
समय चक्र कभी न रुकता ,होता नफा -नुकसान है
कौन अमीर गरीब यहाँ पर , समय बड़ा बलवान है
दया सभी पर करना भाई ,मीठे बोल सुनाना तुम
सेवा भाव रखना मन में ,इसे नहीं बताना तुम
सत्य वचन ही बोलो हरदम ,झूठ से तुम दूर रहो
जुल्म किसी पर नहीं करना ,प्रेम में भरपूर रहो
कभी न बासी रोटी मिलती , कभी नसीब पकवान है
कौन अमीर गरीब यहाँ पर , समय बड़ा बलवान है
हरदम कोई रहता अकेला, कहीं भरा रहता है मेला
आसमान में कोई उड़ता , कोई चलाता अपना ठेला
कोई जीता हंसी -ख़ुशी में , कोई हर पल दर्द पाता
कोई कहता स्वर्ग घर को…
श्याम मठपाल
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