आज जब आए दिन हम देखते है कि बाहर से तो धर्म नैतिकता,आदि खूब दिखते है किन्तु ईर्ष्या द्वेष घ्रणा, नफरत आदि दिनो दिन बड़ रही है तब पाखण्ड पर देखिए कुछ इस तरह
पाखण्ड मे खण्ड मतलव हिस्सा
पाखण्ड मे पा मतलव पाप
पाखण्ड से तब धर्म मलिन होता
पाखण्ड से तब जिंदगी को शाप
पाखण्ड से पनपती अंध श्रृद्धा
पाखण्ड से तब रूह जाती काँप
पाखण्ड रक्षित धनिक धन से
पाखण्ड का कोई नही तब माप
पाखण्ड कर पाखण्डी पूजें तब
पाखण्ड की प्रमाणित छाप
पाखण्ड का ही ओड़ चोला
पाखण्ड से तब पद प्रतिष्ठा नाप।
पाखण्ड ही अब धर्म लगता
पाखण्ड ही उच्चता की माप
पाखण्ड की इस क्रूरता से
पाखण्ड लीजिए अब भाँप
पाखंड मे जब संत उलझे
पाखण्ड से तब भारी प्रलाप
पाखण्ड तब अब तो समझिए
पाखण्ड पथ खूनि हुए पद चाप
राजेन्द्र जैन अनेकांत
बालाघाट
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