सासूमाँ का लाड

            सासूमाँ  का लाड

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वैसे तो हमारे द्वारा जैन समाज मे सर्वपितृ अमावस्या का कोई दिन नहीं मनाया जाता।किन्तु मैं ये जरूर कहूँगी की जीतेजी घर के हर बुजुर्गों की सेवा सम्मान के साथ कर ली ,वही सच्ची श्रधांजलि अर्पण दिन है।

        मेरी दादी,ससुरजी, सासूमाँ ,नानी,,पापा सभी की कोई न कोई याद मेरे पूरे जेहन में है।फिरभी सबसे ज्यादा सासूमाँ  के साथ रही।उनका आशीर्वाद रूप घर कार्य सिखाना आज मुझे बहुत मददगार है।हर कार्य को सलीके से करना ,कम खर्च में ये सबकुछ मुझे सीखने को मिला।जब जुवार की रोटी हाथ से बनती तो वे हमें बहुत प्यार से माँ की तरह बनाकर खिलाती।क्योंकि उनकी मास्टरी थी और हम नही बना पाते।घर बाहर मैनेजमेंट कैसे करना वे हमारी गुरु रहीं।जाते जाते एडवांस में अपनी   पुश्तैनी वस्तुएं हमें प्यार से दे गईं ।आशीर्वाद के साथ।मुझे आज भी याद है हमें मंदिर ले जातीं विधिपूर्वक  पूजन ,अर्चन, स्वाध्याय करती और सीखाती।जरूरतमंदों की सेवा के लिए तत्पर कैसे रहना,क्या खुशी मिलती है वो सभी सद्भावना पाठ  ,जो कि मुझे जीवन मे आत्मसात करने में मेरी गुरु रहीं।ऐसी प्यारी आदरणीय सासूमाँ को नमन करते हुए श्र्द्धांजलि।वे जँहा भी हैं जिस  भव में हैं अवश्य देव गति से हमें आशीर्वाद दे रही होंगी।सादर प्रणाम🙏🏻🎊

:प्रभा जैन इन्दौर

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