नवरात्र की पूर्व संध्या पर कुछ सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर शब्दों का शब्द गुच्छ !
ग़म के अंधेरे में जो उम्मीद का उजाला साथ रखते हैं..!
वो ही तो अक्सर ज़माने से हटकर कुछ बात रखते हैं..!
बदलियाॅं बारिश की हो या ग़म की छट ही जाती हैं..!
रात कितनी भी घनेरी हो आखिर कट ही जाती है..!
एक उम्मीद ही है जो मानव को सदा ही उर्जा देती है..!
जो हिम्मत ना हारता जिंदगी उसे हटकर दर्जा देती है..!
मुश्किल वक़्त भी तो एक ना एक दिन गुजर जाता है..!
कोयले की कोख से जन्म लेता वो पत्थर हीरा कहलाता है..!
कमल सिंह सोलंकी
रतलाम मध्यप्रदेश
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