खाली गागर में

माता - पिता  ने  संसार  दिया

प्रीत   जगत   की  निभाई  है

खाली गागर में ज्ञानजल  भर

ज्योति विहान की  जलाई है।


आपके  बिन  संसार  अधूरा

सब साथ में पर न होगा पूरा

ऊँगली  थामें  अक्षर  गिनाए

गिर  जाए  तो  दिल बहलाए

बचपन के नित खेल-मेल में 

गुरू आपने  उड़ान भराई है।

खाली गागर में......


अज्ञानी  से  हम  सज्ञानी बने

आपकी  राहों  पर  चल जाते

तम  से  कभी  राह जो भटके

आपके   उजियाले   में  आते

हौसला  और  उत्साह  बढ़ता

आगे राह  गुरू  ने  दिखाई है

खाली गागर में.....


गुरू  आपके  कितने उपकार

सबके   सपने   होंगे  साकार

खाद  बन   कभी  पानी  बन

दिया    जीवन   को   आधार

फूल  खिलें  अब फल से लदे

गुरू आपने  मिठास भराई है


 मच्छिंद्र बापू भिसे 'मंजीत'

सातारा महाराष्ट्र




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